Sunday 1 May 2016

पेशवा बाजीराव की 276वी पुण्यतिथि पर उनके बारे में 9 ऐसे तथ्य जो आपको जरूर जानने चहिये

पेशवा बाजीराव की 276वी पुण्यतिथि पर उनके बारे में 9 ऐसे तथ्य जो आपको जरूर जानने चहिये
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अधिकांश लोग 2015 में आई फिल्म "बाजीराव मस्तानी " से पहले बाजीराव पेशवा को नही जानते थे और जानते थे तो भी इतनी अच्छी तरह से नही तो में हम सबसे पहले तो उस फ़िल्म को जिसने बनाया संजय लीला भंसाली जी का आभार मानते है की उन्होंने बहुत अच्छी तरह से आज की पीढ़ी को भारतीय इतिहास का एक दिलचस्प रहस्य लोगो को सामने उजागर किया ।




चलो इस रोचक योद्धा के बारे में जाने जिन्होंने भारत के इतिहास में महत्पूर्ण भूमिका निभाई ।

(1) बाजीराव पेशवा को हिन्दू धर्म के नायक के रूप में माना जाता है फिर भी कभी उन्होंने इस्लाम धर्म पे प्रतिबन्ध नही लगाया ।


(2) पेशवा बाजीराव् महज 12 साल की उम्र में युद्ध के मैदान में गए ।

बाजीराव पेशवा की पिता बालाजी विश्वनाथ , छत्रपति 
साहु के पहले पेशवा जो बहुत कम उम्र में ही इन्हें युद्ध के मैदान में ले गए पहले ये एक अच्छा योद्धा बाद में नेता और बाद में मराठा इतिहास का हिस्सा बन गए ।



(3) बाजीराव की माँ कुलमाता राधा बाई पेशवा जिन्होंने कभी किसी को नुकसान नही पहुँचाया ये एक सख्त प्रशाशक थे जिन्होंने लेखन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया ये मराठा साम्राज्य के सबसे सम्मानित मुख्यमंत्री की माँ थी ।

राधा बाई को अपने बेटे बाजीराव और अपने भाई चिमाजी अप्पा पे गर्व था । उन्होंने कहा की मेंरे राव की हिंदुस्तान में इतने भाव से पूजा होती है की मुझे कोई नुकसान पहुचने की सोच भी नही सकता ।

(4) बाजीराव का सैन्य पाठ्यक्रम 20 साल का था जिसमें उन्होंने 35 दुश्मनो से युद्ध किया ।

बाजीराव ने कभी हार का मुँह नही देखा वे हमेसा जीत के साथ ही घर आते थे ।

(5) कालक्रम के अनुसार, मालवा (1723), धार (1724), औरंगाबाद (1724), Palkhed (1728), फिरोजाबाद (1737) की लड़ाई ये सबसे बड़ी लड़ाईया थी बाजीराव में ।

(6) बाजीराव की सभी युद्ध में सबसे अहम पालखेड़ की लड़ाई थी  जो निज़ाम -उल-मुल्क में मराठो के सबसे बड़े दुश्मन के साथ हुई थी ।





(7)  बजीराव पेशवा शिव के प्रमुख भक्त थे ।


(8) मुगल सम्राट बाजीराव से बहुत डर गए थे यहा तक उन्होंने बाजीराव के साथ कोई बैठक करने से भी डर गए थे और मना कर दिया किसी भी बैठक में भाग लेने से ।


(9)  वो अपने 10,000 सेनिको के साथ दिल्ली की यात्रा कर रहे थे तब उनका रास्ते में केम्प में बुखार से निधन हो गया 

उनका अंतिम संस्कार 20 अप्रैल 1740 इंदौर के पास नर्मदा नदी के तट पे हुआ था उनके अंतिम समय में उनके साथ उनकी माँ राधा बाई उनकी पहली पत्नी काशी बाई और दूसरी पत्नी मस्तानी उनके साथ थे ।


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Source - indiatimes
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