ईश्वर का अहसास ...
4/
5
Oleh
Unknown
दोस्तों में हमेसा किसी न किसी बात को को लेकर ईश्वर को कोसते रहते है ।
लेकिन हम कभी भी उस पर चिंतन नही करते है क्यों की जो हो रहा है वो हमे दिख रहा है लेकिन हम जरा सा भी ये नही सोचते है की इसका कारण क्या हो सकता है और इसको कैसे सुलझाया जा सकता है
आज की स्टोरी भी ऐसी ही है
.
एक दिन की घटना है। एक छोटी सी लड़की फटे पुराने कपड़ो में एक सड़क के कोने पर खड़ी भीख मांग रही थी। न तो उसके पास खाने को था, न ही पहनने के लिए ठीक ठाक कपड़े थे और न ही उसे शिक्षा प्राप्त हो पा रही थी । वह बहुत ही गन्दी बनी हुई थी, कई दिनों से नहाई नहीं थी और उसके बाल भी बिखरे हुए थे।
तभी एक अच्छे घर का संभ्रांत युवा अपनी कार में उस चौराहे से निकला और उसने उस लड़की को देखते हुए भी अनदेखा कर दिया। अंततः वह अपने आलीशान घर में पहुंचा जहाँ सुख सुविधा के सभी साधन उपलब्ध थे। तमाम नौकर चाकर थे, भरा पूरा सुखी परिवार था।
जब वह रात्रि का भोजन करने के लिए अनेक व्यंजनों से भरी हुई मेज पर बैठा तो अनायास ही उस अनाथ भिखारी बच्ची की तस्वीर उसकी आँखों के सामने आ गयी। उस बिखरे बालों वाली फटे पुराने कपड़ों में छोटी सी भूखी बच्ची की याद आते ही वह व्यक्ति ईश्वर पर बहुत नाराज़ हुआ।
उसने ईश्वर को ऐसी व्यवस्था के लिए बहुत धिक्कारा कि उसके पास तो सारे सुख साधन मौजूद थे और एक निर्दोष लड़की के पास न खाने को था और न ही वह शिक्षा प्राप्त कर पा रही थी । अंततः उसने ईश्वर को कोसा," हे ईश्वर आप ऐसा कैसे होने दे रहे हैं ?" आप इस लड़की की मदद करने के लिए कुछ करते क्यों नहीं ?
इस प्रकार बोल कर वह खाने की मेज़ पर ही आंखें बंद करके बैठा था। तभी उसने अपनी अन्तरात्मा से आती हुई आवाज़ सुनी जो कि ईश्वरीय ही थी । ईश्वर ने कहा "मैं बहुत कुछ करता हूँ और ऐसी परिस्तिथियों को बदलने के लिए मैंने बहुत कुछ किया है। मैंने तुम्हें बनाया है।"
जैसे ही उस व्यक्ति को यह एहसास हुआ कि ईश्वर उस गरीब बालिका का उद्वार उसी के द्वारा कराना चाहता है, वह बिना भोजन किये मेज़ से उठा और वापस उसी स्थान पर पहुंचा, जहाँ वह गरीब लड़की खड़ी भीख मांग रही थी। वहां पहुँच कर उसने उस लड़की को कपडे दिए और भविष्य में उसे पढ़ाने लिखाने और एक सम्मानित नागरिक बनाने का पूरा खर्चा उठाया।
क्या कभी आप में से किसी ने ऐसा कुछ देखा हे अगर देखा हे तो आप भी ऐसी ही किसी की मदद करने का सोचें आप को अपने आप में बहुत अच्छा महसूस होगा शायद मानव जीवन का उद्देश्य भी यही हे की अगर ईश्वर ने हमकों इस लायक बनाया हे की हम किसी के काम आ सकते हे तो हमें अवश्य ही काम आना चाहिये ।
आप को ये कहानी और आज की सच्चाई केसी लगी अपनी प्रतिकिर्या जरूर दे।
Category:
शिक्षाप्रद कहानिया
लेकिन हम कभी भी उस पर चिंतन नही करते है क्यों की जो हो रहा है वो हमे दिख रहा है लेकिन हम जरा सा भी ये नही सोचते है की इसका कारण क्या हो सकता है और इसको कैसे सुलझाया जा सकता है
आज की स्टोरी भी ऐसी ही है
.
एक दिन की घटना है। एक छोटी सी लड़की फटे पुराने कपड़ो में एक सड़क के कोने पर खड़ी भीख मांग रही थी। न तो उसके पास खाने को था, न ही पहनने के लिए ठीक ठाक कपड़े थे और न ही उसे शिक्षा प्राप्त हो पा रही थी । वह बहुत ही गन्दी बनी हुई थी, कई दिनों से नहाई नहीं थी और उसके बाल भी बिखरे हुए थे।
तभी एक अच्छे घर का संभ्रांत युवा अपनी कार में उस चौराहे से निकला और उसने उस लड़की को देखते हुए भी अनदेखा कर दिया। अंततः वह अपने आलीशान घर में पहुंचा जहाँ सुख सुविधा के सभी साधन उपलब्ध थे। तमाम नौकर चाकर थे, भरा पूरा सुखी परिवार था।
जब वह रात्रि का भोजन करने के लिए अनेक व्यंजनों से भरी हुई मेज पर बैठा तो अनायास ही उस अनाथ भिखारी बच्ची की तस्वीर उसकी आँखों के सामने आ गयी। उस बिखरे बालों वाली फटे पुराने कपड़ों में छोटी सी भूखी बच्ची की याद आते ही वह व्यक्ति ईश्वर पर बहुत नाराज़ हुआ।
उसने ईश्वर को ऐसी व्यवस्था के लिए बहुत धिक्कारा कि उसके पास तो सारे सुख साधन मौजूद थे और एक निर्दोष लड़की के पास न खाने को था और न ही वह शिक्षा प्राप्त कर पा रही थी । अंततः उसने ईश्वर को कोसा," हे ईश्वर आप ऐसा कैसे होने दे रहे हैं ?" आप इस लड़की की मदद करने के लिए कुछ करते क्यों नहीं ?
इस प्रकार बोल कर वह खाने की मेज़ पर ही आंखें बंद करके बैठा था। तभी उसने अपनी अन्तरात्मा से आती हुई आवाज़ सुनी जो कि ईश्वरीय ही थी । ईश्वर ने कहा "मैं बहुत कुछ करता हूँ और ऐसी परिस्तिथियों को बदलने के लिए मैंने बहुत कुछ किया है। मैंने तुम्हें बनाया है।"
जैसे ही उस व्यक्ति को यह एहसास हुआ कि ईश्वर उस गरीब बालिका का उद्वार उसी के द्वारा कराना चाहता है, वह बिना भोजन किये मेज़ से उठा और वापस उसी स्थान पर पहुंचा, जहाँ वह गरीब लड़की खड़ी भीख मांग रही थी। वहां पहुँच कर उसने उस लड़की को कपडे दिए और भविष्य में उसे पढ़ाने लिखाने और एक सम्मानित नागरिक बनाने का पूरा खर्चा उठाया।
क्या कभी आप में से किसी ने ऐसा कुछ देखा हे अगर देखा हे तो आप भी ऐसी ही किसी की मदद करने का सोचें आप को अपने आप में बहुत अच्छा महसूस होगा शायद मानव जीवन का उद्देश्य भी यही हे की अगर ईश्वर ने हमकों इस लायक बनाया हे की हम किसी के काम आ सकते हे तो हमें अवश्य ही काम आना चाहिये ।
आप को ये कहानी और आज की सच्चाई केसी लगी अपनी प्रतिकिर्या जरूर दे।
Your Name Here
Receive Quality Articles Straight in your Inbox by submitting your Email below.

